शुक्रवार, मई 17, 2024
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श्रीमद्भागवत कथा षष्ठम दिवस पर श्रीधाम अयोध्या से पधारी कथा व्यास लक्ष्मी सुप्रिया जी ने भगवान श्री कृष्ण की पावन लीलाओं का बड़े ही मार्मिक शैली में किया चित्रण।

न्यूज समय तक

श्रीमद्भागवत कथा षष्ठम दिवस पर श्रीधाम अयोध्या से पधारी कथा व्यास लक्ष्मी सुप्रिया जी ने भगवान श्री कृष्ण की पावन लीलाओं का बड़े ही मार्मिक शैली में किया चित्रण।

हर किसी को निस्वार्थ प्रेम देना सबसे बड़ा उपहार (तोहफा) है और किसी का प्रेम पाना जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है।

लक्ष्मी सुप्रिया जी श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिवस पर श्री श्री 108 महंत श्री राम कैलाश दास जी महाराज एवं श्री श्री 108 महंत श्री कमलेश दास जी महाराज एवं अन्य संतों का भी रहा सानिध्य**श्रीमद् भागवत कथा की वक्ता श्रीधाम अयोध्या से पधारी लक्ष्मी सुप्रिया जी का जेजीएफ कंपनी के प्रबंधक नीरज सिंह सेगर, राहुल जी पाठक ,अखिलेश सिंह गौर ने किया जोरदार स्वागत*ओमजी पाठक कानपुर देहात – कुईतमन्दिर तृतीय वार्षिकोत्सव में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह के षष्ठम दिवस में अयोध्या जी से पधारी पूज्या लक्ष्मी प्रिया जी ने कहा भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में अपने ग्वालबालों के साथ गोकुल में अनेकों लीलाएं करते हैं राश वर्णन,कंश वध,जरासंध के बार बार परेशान करने पर भगवान ने द्वारिका में सभी मथुरा वासियों सहित रहने लगे,द्वारका रहते हुए भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का नाम चारों ओर फैल गया। बड़े-बड़े नृपति और सत्ताधिकारी भी उनके सामने मस्तक झुकाने लगे। उनके गुणों का गान करने लगे। बलराम के बल-वैभव और उनकी ख्याति पर मुग्ध होकर रैवत नामक राजा ने अपनी पुत्री रेवती का विवाह उनके साथ कर दिया। बलराम अवस्था में श्रीकृष्ण से बड़े थे। अतः नियमानुसार सर्वप्रथम उन्हीं का विवाह हुआ। उन दिनों विदर्भ देश में भीष्मक नामक एक परम तेजस्वी और सद्गुणी नृपति राज्य करते थे। कुण्डिनपुर उनकी राजधानी थी। उनके पांच पुत्र और एक पुत्री थी। उसमें लक्ष्मी के समान ही दिव्य लक्षण थे। अतः लोग उसे ‘लक्ष्मीस्वरूपा’ कहा करते थे। रुक्मिणी जब विवाह योग्य हो गई तो भीष्मक को उसके विवाह की चिंता हुई। रुक्मिणी के पास जो लोग आते-जाते थे, वे श्रीकृष्ण की प्रशंसा किया करते थे। वे रुकमणी से कहा करते थे, श्रीकृष्ण अलौकिक पुरुष हैं। इस समय संपूर्ण विश्व में उनके सदृश अन्य कोई पुरुष नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रुकमणी ने मन ही मन निश्चय किया कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी को भी पति रूप में वरण नहीं करेगी।विवाह महोत्सव में जम कर लोगों ने नृत्य किया आरती में समाज सेवी मनोज निगम,मुनेश सिंह, बृजकिशोर कश्यप, दीपेन्द्र प्रताप सिंह,लाला सिंह, आदि उपस्थित रहे।

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