मंगलवार, मई 21, 2024
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एआरटीओ विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला, जनता का निकल रहा दीवाला

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एआरटीओ में भ्रष्‍टाचार खत्‍म करना एक बड़ी चुनौती

कमाई चाहिए भरपूर, सुविधाएं होती जाएं दूर

एआरटीओ विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला, जनता का निकल रहा दीवाला

अफसरों के गुर्गे संभाल रहे भ्रष्टाचार की अर्थव्यवस्था

अंबेडकरनगर
दलाली, भ्रष्टाचार और वसूली एआरटीओ ऑफिस की कार्यप्रणाली का हिस्सा बन चुका है। क्योंकि आरटीओ अफसर ही इस भ्रष्टाचार की इमारत का ‘आधार’ बने हुए हैं। इनकी छत्रछाया में ही यह भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है। एआरटीओ में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि दर्जनों प्राइवेट कर्मचारी और दलाल बाकायदा ऑफिस के अंदर कुर्सियों में बैठकर काम कर रहे हैं जिन्हें लोग पहचानते ही नहीं हैं। इन प्राइवेट कर्मचारियों को अफसरों ने अपनी ‘भ्रष्टाचार की अर्थव्यवस्था’ को संभालने के लिए बैठा रखा है। जो इन अफसरों के लिए वसूली करते हैं और हिसाब-किताब कर उनतक पहुंचाते हैं।
मेरे हिसाब से जो इस तरह की नौकरी के लिए आवेदन करता है और जिसका चयन होता है वह व्‍यक्ति खुद ही लाखों और करोड़ों रुपये ऊपर देकर नौकरी पाता है। ऐसे में यह तो तय ही है कि वह भ्रष्‍टाचार करेगा ही। अगर भ्रष्‍टाचार को खत्‍म करना है तो ऊपर तक कार्रवाई करनी होगी। तभी भ्रष्‍टाचार खत्‍म हो सकेगा।छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक कमाई की चिंता में ही जुटे हैं। जन सुविधाओ पर किसी का ध्यान नहीं।सरकारी विभागों में इन दिनों अफसरों और कर्मचारियों की ओर से की जा रही धांधली व भ्रष्टाचार के अनेकों मामले सामने आना शुरू हो गए हैं। आरटीओ कार्यालय पर इन दिनों जमकर वसूली की जा रही है। यहां दलालों के हाथों में एआरटीओ कार्यालय की बागडोर बंधी हुई है। इतना ही नहीं यहां एआरटीओ कार्यालय के गोपनीय दस्तावेज भी दलाल खुलेआम लेकर घूम रहे हैं। और धड़ल्ले से यह दलाल अधिकारियों के सानिध्य में वसूली का खेल खेल रहे हैं। यहां आने वाले लोगों से जब बात की तो उन्होंने बताया कि 30 से कई गुना अधिक यहां वसूली चल रही है। यहां पर दलालों के इशारे के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। एआरटीओ कार्यालयों में दलालों एवं अधिकारियों के चंगुल से वाहनधारकों से बचाने के लिए सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पद्धति की शुरुआत की है। अब वाहनों का रजिस्ट्रेशन सीधे डीलर के माध्यम से एआरटीओ कार्यालय में ऑनलाईन किए जाने की सुविधा दी गई है।हमारे सूत्र ने बताया कि एआरटीओ के कुछ भ्रष्ट अधिकारी व बाबूओं के बड़े दलालों से घनिष्ठ रिश्ते हैं। जिनके साथ उनका उठना-बैठना है। दलाल की की सीधी पहुंच बड़े अधिकारियों के ऑफिस तक है। इनका मुख्य काम वाहनों की फिटनेस कराना है। आरोप है कि इस प्रणाली से रजिस्ट्रेशन को आसान करने की बजाय एआरटीओ कार्यालय में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी इसे और मुश्किल बना रहे हैं। नाम ना छापने की शर्त पर जनपद के एक अधिकृत वाहन डीलर ने बताया कि वाहनों के सारे कागजात ऑनलाइन अपलोड किए जाने के बाद भी कोई न कोई बहाना किया जा रहा है। इससे वाहन खरीदी करने वाले लोग भी परेशान हैं। चर्चा है कि रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन शुरू होने से एआरटीओ ऑफिस में ऊपर की कमाई बंद हो गई है। आरटीओ कार्यालय में कार्यरत कुछ अधिकारियों को मात्र अपनी जेब की ही पड़ी है। नाम ना छापने की शर्त पर एक दो पहिया वाहन डीलर ने कहा कि ऑनलाइन पद्धति शुरू होने के पहले आसानी थी, कुछ ले देकर समय पर वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो जाता था,परंतु इस समय और मुश्किल हो गया है। अंबेडकरनगर के कुछ लोगों ने एआरटीओ में होने वाले भ्रष्टाचार की भी पोल खुल पडी, जिसमें गाड़ियों की फिटनेस को लेकर बात कही गई। जनता का कहना है बिना सुविधा शुल्क दिए गाड़ी की फिटनेस नहीं की जाती है।जिस सवाल पर आर आई बिपिन रावत का कहना है कि फिटनेस के लिए एक मानक है जिसके तहत गाड़ियों को चेक किया जाता है ।सूत्रों की मानें तो कुछ ऐसे मनबढ़ दबंग किस्म के दलाल हैं जो एआरटीओ विभाग की मोहर लगाकर संभागीय परिवहन अधिकारी का हस्ताक्षर करके वह आरसी, ट्रांसफर, ड्राइविंग लाइसेंस आदि का कार्य करके उपभोक्ताओं से मोटा पैसा वसूलते हैं। इसकी सूचना कई बार अधिकारियों को दिया गया परंतु उस पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई करने से अधिकारी आखिर क्यों डरते हैं?
क्या दलालों के ही चंगुल में पूरा संभागीय परिवहन विभाग रहेगा और सरकार द्वारा निर्गत की नियमावलियों को धता बताकर दलाल खुद अधिकारी बनकर कार्य संपादित करा देते हैं जबकि औचक निरीक्षण होने पर गाज कार्यालय में कार्यरत लिपिक, बाबू, हेड बाबू अन्य कर्मचारियों के ऊपर गिरती है जबकि देखा जाए तो इसका डिक्टेटरशिप या प्रभाव दलालों या अधिकारियों के हाथ में है।





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