साध्वी के चुनाव हारते ही अधिकारियों के बदल गए तेवर,साध्वी की जनहितैषी बात को किया दरकिनार
जांचें लम्बित,फिर भी उपनिरीक्षक की वापसी ने जिले के जिम्मेदारो पर खड़े किए सवाल
न्यूज समय तक फतेहपुर
फतेहपुर। जनपद फतेहपुर में चुनाव के समय जन हितैषी सरकार की मंशा के विपरीत काम कर रहे यातायात उपनिरीक्षक की कार्यगुजारियों का असर केवल यातायात विभाग को बदनाम होकर या जिम्मेदार अधिकारियों पर सवालिया निशान लगा कर ही नही उठाना पड़ा बल्कि इसकी खासी भूमिका बीजेपी को सीट गवाने में भी रही, क्योंकि सरकारी कर्मचारियों की कार्यशैली व रीति नीति का सीधा असर जनता पर पड़ता है और उसका एक्शन रिएक्शन जनता वक्त आने पर देती है। चर्चा गुटबाजी में चुनाव हारने की हो रही है कहीं न कहीं ये सच भी है पर सरकारी कर्मचारियों की कार्यशैली का भी सीधा असर चुनाव पर हुआ है और यातायात विभाग की जनविरोधी कार्यशैली का असर तो साफ तौर पर पड़ा है, क्योंकि यातायात के इस उपनिरीक्षक ने ज्यादातर रोज कमाने खाने वालों को प्रताड़ित किया। जिसके आरोप भी लगे, शिकायतें भी हुई। इसके कार्यकाल में चालान के नाम पर होटलों से सेटिंग व दबाव बनाने के लिए मारपीट आम बात हो गई थी, जिसकी लगातार शिकायतें हो रही थी, इससे पीड़ित एक शिकायतकर्ता जब पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा तो इस मनबढ़ उपनिरीक्षक द्वारा शिकायतकर्ता को पुलिस अधीक्षक कार्यालय से घसीट कर बाहर लाकर धमकाने का संगीन आरोप भी लग चुका है, इस घटना के तो कार्यालय में उपस्थित कर्मचारी गवाह होंगे और तो और यदि कार्यालय के सीसीटीवी कैमरे चल रहे होंगे तो इसका सीसीटीवी फुटेज भी कार्यालय में उपलब्ध होगा। फिर भी कार्रवाई न होना बड़ी बात है। इसकी कार्यशैली से पीड़ित जनता ने त्रस्त होकर राहत के लिये तत्कालीन सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री से गुहार लगाई थी, उन्ही के हस्तक्षेप से दर्जनों आरोपो से गिरे उपनिरीक्षक का कार्यक्षेत्र बदल दिया गया था। उपनिरीक्षक पर ये भी आरोप था कि होटल के माध्यम से सेटिंग कर वाहन छोड़ता था और इंट्री की सेटिंग भी करता था जिसका वीडीओ भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ था, साध्वी हस्तक्षेप के बाद कार्यक्षेत्र बदल जाने के बाद भी इन महाशय का शहर क्षेत्र के टैम्पू,बस,मैजिक स्टैंडों में महीने में निश्चित तारीख पर एक बार आवागमन बना ही रहा। बड़ी बात ये है कि साध्वी के चुनाव हार जाने के बाद जिले के जिम्मेदार पुलिस अधीक्षक ने साध्वी के विरोध को दरकिनार कर उस उपनिरीक्षक की पुनः वापसी कर उसे अभयदान दे दिया। जिसकी चर्चा विभाग में ही नही पूरे जिले में हो रही है, क्योंकि साध्वी ने जनता के हित के लिये इनका कार्यक्षेत्र बदलवाया था। जबकि इन उपनिरीक्षक महाशय पर चुनाव के वक्त धन उगाही करने, कराने व मारपीट, अभद्रता करने के दर्जनों आरोप लगे थे। कुछ के वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुए। इन मामलों में एक्स(ट्विटर) पर तो फतेहपुर पुलिस द्वारा बकायदा जॉच की बात लिखकर रिप्लाई भी दिया गया। परन्तु इन मामलों की जाँच के बारे में जब भी जिम्मेदारों से पूंछा गया तब अप्रैल से लेकर अभी तक सिर्फ जांच चल रही है की बात कह कर मामले को टाला जाता रहा और ये टालने की प्रक्रिया अभी भी जारी है। हालांकि आरोपो से घिरे चर्चित उपनिरीक्षक की वापसी ने ईमानदार विभागीय मुखिया की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं लोगों में चर्चा है कि विभाग सहित सरकार की छवि को धूमिल करने वाले ऐसे कर्मी की वापसी कैसे हो सकती है और तब जब उसकी आधा दर्जन से अधिक जांचें लम्बित हों। क्या विभाग में कोई और योग्य उपनिरीक्षक नही है या पुनः वापस नियुक्ति का कारण कुछ और ही है।