न्यूज़ समय तक कानपुर ड्रग्स की अंधी गलियों में भटकता भारतीय युवा… ज्योति बाबा दिल्ली को बना रहे ड्रग्स का हब… ज्योति बाबा भारत में बढ़ती रेव पार्टी के कल्चर ने परिवार को किया विकृत… ज्योति बाबा ड्रग्स रूपी रावण को मारने के लिए अब राम कहां से आएंगे …ज्योति बाबा कानपुर। भारत में जिस तेजी से ड्रग्स कोकीन और एमडीएमए ड्रग्स का प्रचलन बढ़ रहा है जो आने वाले 10 वर्षों में आपसी गृह युद्ध का कारण बन सकता है दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सभी नशा मुक्ति सेनानियों की ओर से दिली बधाई जिन्होंने सबसे सबसे बड़ी ड्रग्स की खेप 562 किलो कोकीन और 40 किलो थाई मारिजुआना गांजा जप्त कर एक बड़ी मिसाल कायम की है क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी भारत में रह रही युवा आबादी को ड्रग्स की लत में डालकर खोखला बनाने का कार्य विकसित राष्ट्र एक सधी रणनीति के तहत कर रहे हैं, जिससे भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिए गए 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को सरकार न कर सके ,उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में हिंदू जागरण मंच व अरुण ग्रामउद्योग संस्थान के सहयोग से आयोजित नशा मुक्ति जागरूकता गोष्ठी के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति अभियान के प्रमुख योग गुरू ज्योति बाबा ने कहीं, ज्योति बाबा ने आगे कहा कि ड्रग्स को एक दीर्घकालिक बार-बार होने वाला विकार माना जाता है इसे एक मस्तिष्क विकार भी माना जाता है लत अन्य बीमारियों की तरह ही है जैसे हृदय रोग दोनों ही शरीर में किसी अंग के सामान्य स्वास्थ्य कामकाज को बाधित करते हैं दोनों के गंभीर हानिकारक प्रभाव होते हैं और दोनों ही कई मामलों में रोकथाम योग्य और उपचार योग्य हैं अगर इलाज न कराया जाए तो वह जीवन भर रह सकते हैं और मौत का कारण भी बन सकते हैं। ज्योति बाबा ने जोर देकर कहा कि ड्रग्स तनाव,अवसाद व चिंता का हल नहीं है ना हीं हो सकता है लेकिन ज्यादातर इन विकारों से बचने के लिए ड्रग्स का उपयोग करना शुरू कर देते हैं ,ज्योति बाबा ने एक महत्वपूर्ण जानकारी दी कि कोकीन एक ग्राम आज की तारीख में कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में ₹10000 प्रति ग्राम है इससे यह सत्य सिद्ध होता है की 2017 में भारत में अकेले 30 लाख करोड़ से ज्यादा की ड्रग्स की खपत हो रही थी और अब 50 लाख करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी है ड्रग्स के विरुद्ध युद्ध न किया गया तो यह समानांतर आर्थिक व्यवस्था देश के संवैधानिक ढांचे को चरमरा सकती है। सोशल एक्टिविस्ट पीयूष रंजन मिश्रा ने कहा कि जब लोग पहली बार किसी ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें लगता है कि इसके सकारात्मक प्रभाव हैं उन्हें यह भी लगता है कि वह अपने इस्तेमाल को नियंत्रित कर सकते हैं जबकि वापस लौटने पर मालूम होता है कि वह एडिक्ट हो चुके हैं इसीलिए ड्रग्स को प्रथम बार में ही ना बोले । संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अमित सिंह रोबिन ने कहा कि विचार करें कैसे एक सामाजिक शराबी नशे में धुत हो सकता है कार चला सकता है और जल्दी ही एक आनंददायक गतिविधि को एक त्रासदी में बदल सकता है कभी कभार नशीली दवाओ का उपयोग जैसे कि नशे में धुत होने के लिए ओपीओईड का दुरुपयोग करना भी इसी तरह के विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है। अंत में योग गुरू ज्योति बाबा ने सभी को ड्रग्स मुक्त भारत का संकल्प कराया। अन्य प्रमुख मयंक त्रिपाठी ,अमित सिंह रोबिन, सरस्वती सिंह ,अनिरुद्ध सक्सेना ,मनीष सोनी, वैभव वाजपेई, टिंकू बाल्मीकि इत्यादि थे।