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कानपुर
ब्यूरो चीफ प्रभाकर अवस्थी
150 रुपए में बिक रहा 100 वाला स्टाम्प पेपर, धड़ल्ले से ठगे जा रहे लोगबिल्हौर में स्टांप पेपर की धड़ल्ले से हो रही कालाबाजारी, 100 वाला स्टांप मिल रहा 150 मेंबिल्हौर: ई-स्टांप व्यवस्था लागू होने के बाद से छोटे स्टांप पेपरों का संकट खड़ा हो गया है। वेंडर सौ रुपये का स्टांप 150 रुपये में बेच रहे हैं। तहसील के वेंडर छोटे स्टांप पेपरों की कालाबाजारी कर रहे हैं। दस रुपये का स्टांप 50 रुपये और बीस, पचास रुपये का स्टांप पेपर तीन गुने दामों पर बेच रहे हैं। काम निकालने के लिए लोग ब्लैक में स्टांप पेपर की खरीदारी करने को मजबूर हैं।बिल्हौर तहसील परिसर में स्टांप की कालाबाजारी देखी जा सकती है। दरअसल स्टांप बेचने के भी नियम हैं। मसलन स्टांप विक्रेता को अपने स्टॉल पर मूल्य स्टाॅक सूची लगानी होती है। इसमें लिखा होता है कि उनके पास कितने रुपए के कितने स्टांप हैं। इससे स्टांप खरीदने वाले को जानकारी मिल जाती है कि उसे जो स्टांप चाहिए वह है या नहीं। वहीं स्टांप विक्रेता को तय कीमत पर ही स्टांप बेचने का प्रावधान है। इन दोनों नियमों का पालन तहसील के स्टांप विक्रेता नहीं करते हैं। वेंडरों के पास से 50 रुपए में बिकने वाला स्टांप 70 में और 100 रुपए में मिलने वाला स्टांप 150 रुपए मिलता है।नहीं होती है माॅनिटरिंगरजिस्ट्री अधिकारी की यह जिम्मेदारी है कि वे तय जगहों पर बिकने वाले स्टांप वेंडरों को चेक करें। वे यह देखें कि स्टांप वेंडर नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। काफी समय से इनका निरीक्षण ही नहीं हुआ है। जबकि स्टांप विक्रेताओं की कालाबाजारी के सम्बन्ध में पूर्व में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुए सहायक उप निबंधन रजिस्टार को तलब भी कर चुके हैं। निर्धारित दामों से अधिक में स्टांप बेचने वाले विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द करने और कार्यवाही के आदेश भी दिए हैं। परन्तु शायद ही बिल्हौर तहसील में कभी किसी अधिकारी के आदेश पर अधिनस्थों द्वारा कार्यवाही की गई हो।