” *विश्व नदी दिवस 26विश्व नदी दिवस 26 सितंबर पर विशेष सितंबर पर विशेष* “श्री लाल चंद केसरवानी सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित विश्व नदी दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी एनजीओ प्रकोष्ठ के काशी प्रांत संयोजक रजनीकांत श्रीवास्तव ने कहा कि” मनुष्य को अंतिम सांस तक करने होंगे नदी बचाने के प्रयास ” विश्व नदी दिवस पर नदियों के निर्मलीकरण का संकल्प ले ” ” विश्व की सभी प्राचीन सभ्यतायें नदियों के किनारे ही विकसित, पुष्पित और पल्लवित हुई है ” नदियां हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। नदियां जीवन दायिनी हैं। प्राकृतिक रुप से बहुत सारे जीव-जन्तु और प्राणी जल के लिए नदियों पर ही निर्भर हैं, लेकिन पर्यावरण में फैलता हुआ प्रदूषण नदियों के लिए अभिषाप बन गया है। सबको जीवन देने वाली नदियों का अस्तित्व खुद खतरें में हैं। कुछ नदियां अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं तो कुछ लुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसे में नदियों का सरंक्षण करना अति आवश्यक हो गया है। नदियों के संरक्षण की कामना से 26 सितम्बर रविवार को विश्व नदी दिवस मनाया जाएगा। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 2005 से प्रारम्भ हुयी है। प्रतिवर्ष सितंबर के आखिरी रविवार को मनाए जाने वाले विश्व नदी दिवस पर लाखों लोग, दर्जनों देश और अनगिनत अंतर्राष्ट्रीय संगठन अपने अपने तरह से योगदान करते हैं। विश्व नदी दिवस लोगों को नदियों का आनंद उठाने का मौका प्रदान करता है। साथ ही यह दिवस नदियों और झरनों को बचाने के लिए महत्वपूर्ण ढंग से जागरूकता भी फैलाता है। औद्योगिक विकास, मानव द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण और कई स्वार्थ के कारण अनेक नदियां आज मृतप्राय होती जा रही हैं। प्रदूषित और बीमार इन नदियों को आज संरक्षित करने की जरूरत है। विश्व की सभी प्राचीन सभ्यतायें नदियों के किनारे ही विकसित, पुष्पित और पल्लवित हुई है। नदियां जहां स्वच्छ जल का संवाहक होती हैं वहीं आखेट, कृषि, पशुपालन तथा यातायात का संवाहिका भी होती हैं। एशिया महाद्वीप का हिमालय पर्वत अनेक नदियों का उद्गम स्रोत है। गंगा, यमुना, सिन्धु, झेलम, चिनाव, रावी, सतलज, गोमती, घाघरा, राप्ती, कोसी, हुबली तथा ब्रहमपुत्र आदि सभी नदियों का उद्गम स्रोत हिमालय ही है। ये सभी नदियां हिन्द महासागर में जाकर समाहित हो जाती है । हिन्दू धर्म में माता की तरह हितकारिणी नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है। भारत के साथ विश्व के अनेक देशों में जल तत्व की महत्ता दर्शायी गयी है। प्रायः देखा गया है कि मई जून माह की गरमी तथा जुलाई अगस्त के बरसात से भू संरचना की वास्तविक स्थिति बिगड़ जाती है। इन्हें पुनः संतुलित करने तथा इन प्राकृमितक संसाधनों को साल भर तक अक्षुण्य बनाये रखने के लिए सितम्बर माह के अतिंम रविवार को विश्व नदी दिवस का आयेजन किया जाता है। इस समय तक नदियों तथा जंगलों में अनेक आवश्यक प्राकृतिक परिवर्तन आ जाता है इसे नियमित व शोधन करने के लिए यह आयोजन किया जाता है। इस आयोजन के माध्यम से नदी की शुद्धता के बारे में जन जागरुकता तथा उसे तरह तरह से शोधन परिमार्जन तथा स्वच्छ तथा स्थायी बनाये रखने के लिए एक अभियान के जरिये प्रयास किये जाते हैं। जिसमें लोग पूरी क्षमता व सामर्थय के अनुरुप अपनी सहभागिता निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और औद्योगिक विकास आदि के कारणों से दुनिया के अधिकांश देशों की नदियां खतरों से जूझ रही हैं। नदियों को बचाने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, जो पर्याप्त नही हैं। इसके लिए नागरिको का संवेदनशील बनना जरूरी है। विश्व नदी दिवस के अवसर पर हम सभी हमारी नदियों को साफ़ और स्वच्छ रखने का प्रण लें।प्रकृति ने हमारे देश को गंगा और यमुना जैसी पवित्र और महत्वपूर्ण नदियां दी हैं। यदि हम वास्तव में उनका सम्मान करते हैं तो उनकी देखरेख करें और कभी उन्हें गन्दा नहीं करना चाहिए।हमारी संस्कृति हमें नदियों सहित प्रकृति की पूजा करना सिखाती है। आइये हम देश की जीवनरेखा अपनी नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाएं और उनकी सार-संभाल करें। प्रदूषण मुक्त का संकल्प ले सर पर इस अवसर पर अवनीश कुमार श्रीवास्तव सुशील पांडे ज्ञानेंद्र द्विवेदी नवीन शुक्ला आशुतोष शुक्ला ओम प्रकाश मिश्रा वरुण गिरी संतोष सिंह संदीप कुमार अजय श्रीवास्तव राकेश श्रीवास्तव विपुल कुमार कार्यक्रम का संचालन डॉ राहुल केसरवानी ने किया