बुधवार, जून 7, 2023
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वर्तमान सांसद फतेहपुर ने जिले को प्रदेश के सात ज़िलों में फतेहपुर का भी चयन कराया।

न्यूज समय तक

वर्तमान सांसद फतेहपुर (केन्द्र सरकार में मंत्री) ने १:-जिले को प्रदेश के सात ज़िलों में एक फतेहपुर का भी चयन कराया। अर्थात शिक्षा (केन्द्रीय विद्यालय), स्वास्थ्य (मेडिकल कॉलेज),कृषि,(किसान सम्माननिधि आपदा प्रबंधन में कृषकों को तुरंत डिजिटल भुगतान,) आधार भूत ढांचे के अन्तर्गत अनेक सड़कों का जाल , पुलों का निर्माण)।

2:-जिले में पाइप गैस लाइन बिछवाना।

3:-फतेहपुर में पूर्व प्रधानमंत्री वी,पी, सिंह के समय से लम्बित पड़ी सीवर लाइन परियोजना पूर्ण कराना।

4:-पेयजल पानी की टंकियों का जनपद में जाल बिछावाना।राष्ट्रीय स्तर पर फतेहपुर जनपद जिसे लोग फतेहपुर सीकरी के नाम से भ्रमित होते थे।अब मन आल्हादित हो जाता है कि अपना जिला भी गौरवपूर्ण स्थान पर है।जहां तक पंचायत राज व्यवस्था की बात है तो जनता ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, ब्लाक प्रमुखों, जिला पंचायत सदस्यों, जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव करती है। परन्तु जनता सांसद, और विधायक से ही समस्त अपेक्षा रखतीं हैं।भाग्य विधाता इन्हीं जनप्रतिनिधियों को मानती है। जबकि ये प्रति निधि सीधे कोई काम नहीं कर सकते। ग्राम पंचायतों में जब से विकास की वित्तीय व्यवस्था शुरू हुई तब से यदि मानकों के आधार पर ईमानदारी से काम हुआ होता तो ग्रामों में का शहरी करण होगया होता। जिससे ग्रामीणों का शहरों की‌ओर पलायन रुकता।क्योंकि गांवों के विकास केलिए जितना धन दिया जा चुका है वह एक विधायक/सांसद निधि से औसत रूप से बहुत अधिक हो चुका है। जनता चुनाव के समय भौकाल देखती है,। व्यक्ति के गुण अवगुण का विचार नहीं करती। बहुत से क्षेत्रों में तो कौन कितना शराब बांट सकता उसे ही मत दे दिया जाता है और वह विजयी हो जाता है।इन स्थितियों में जनता अपने विकास की आशा लागाती है? इस प्रकार से जीतने वाले जनप्रतिनिधि का जनता मुंह तक देखने को तरस जाती है। इसलिए जनता को चुनाव के समय सतर्क रहना चाहिए। अन्यथा यह प्रक्रिया दोहराते रहोगे।और यथोचित विकास सम्भव होने का समय आगे खिसकता रहेगा। विकास लम्बित रहेगा।जो जनहित में नहीं है। व्यक्ति का चुनाव गुण अवगुण के आधार पर चुनना ही हितकर होता है। चुनाव जाति के आधार पर नहीं करना चाहिए।यह धारणा भी उचित नहीं है कि सभी जनप्रतिनिधि एक ही जाति विशेष के होंगे क्या? यदि ऐसा मान भी लिया जाए तो परिणाम गलत ठहरता है। चुनाव का आधार स्वच्छ छवि, सेवा करने का संकल्प, व्यक्ति गत कोई अपेक्षा नहीं, जनता के प्रति संवेदनशील, गरीबों के प्रति संवेदनशील,मन में विकास का संकल्प तथा संकल्पना। यही चुनाव और चयन का आधार होना चाहिए।शराब, गाड़ियों का भौकाल दवंगयी ए सब बाद में दुःख धारी होते हैं। सौभाग्य है कि आपको ऐसा सांसद मिला है।

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