न्यूज समय तक
मौसम पूर्वानुमान ( वैधता: दिनांक 24 मई, 2023 से 28 मई, 2023 तक)
श्रीराम अग्निहोत्री न्यूज समय तक ब्यूरो चीफ फतेहपुर
फतेहपुर भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अगले 5 दिनों में फतेहपुर जिले में दिनांक 24 से 28 मई के बीच में हल्के से मध्यम बादल छाए रहने की संभावना है, जिसके कारण दिनांक 25 से 28 मई के बीच में गरज/चमक, तेज़ धूलभरी आंधी के साथ हल्की बारिश की संभावना रहेगी। अधिकतम तापमान 38.0 से 44.0 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहेगा जबकि न्यूनतम तापमान 19.0 से 27.0 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहेगा। हवा की दिशा ज्यादातर उत्तर-पश्चिम रहेगी और हवा की गति सामान्य बने रहने की संभावना हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक खेत में काम करने से बचें। जायद की खड़ी फसल में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। खाली खेतों में गहरी जुताई करें और खेत को खुला रखें ताकि मिट्टी में मौजूद सभी खरपतवार के बीज, कीट और रोग नष्ट हो जाएं। कीटनाशकों और खरपतवारनाशी रसायनों के लिए, उपकरणों को साफ पानी से धोएं और उन्हें अलग से इस्तेमाल करें और हवा के खिलाफ खड़े होकर कीटनाशकों और खरपतवारनाशी रसायनों का छिड़काव न करें। छिड़काव शाम को करना चाहिए, यदि संभव हो तो छिड़काव के बाद; खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साबुन या हैंडवाश से धोना चाहिए और कपड़े धोने के बाद नहाना चाहिए।
👉 फ़सल संबंधित सलाह
1• धान के खेतों की तैयारी के लिए गहरी जुताई कर मेडबंदी करें। धान की नर्सरी डालने के 15 दिन पूर्व खेत की हल्की सिंचाई करें ताकि खेत में निकलने वाले खरपतवार खेत तैयार करते समय नष्ट हो जाएं।2• उर्द की फसल फूल से फली की ओर बढ़ रही है जो नमी की कमी के प्रति संवेदनशील है। इसलिए आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करते हुए उचित नमी बनाए रखें। उर्द की फसल में फली बेधक कीट का प्रकोप दिखाई देने की संभावना है अतः इसके रोकथाम हेतु इमामेक्टिन बेंजोएट 5%एस जी 220 ग्राम/हेक्टेयर या डाइमथोएट 30% ई सी 1.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर आसमान साफ़ होने पर छिड़काव करें। 3• मूंग की फसल में आवश्यकतानुसार 10-12 दिन के अन्तराल पर हल्की सिंचाई करते हुए उचित नमी बनाए रखें। मूंग की फसल में थ्रिप्स/ हरे फुदके कीट लगने की संभावना होती है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए ऑक्सीडेमेटन-मिथाइल 25% ईसी या डाईमेथोएट 30% ईसी 1.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।4• मक्के की फसल जीरा निकलने/भुट्टे के बनने/दाने भरने की अवस्था में चल रही है, जो नमी की कमी के प्रति संवेदनशील है। इसलिए आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई कर उचित नमी बनाए रखें। मक्के की फसल में तना छेदक/प्ररोह मक्खी कीट के प्रकोप की संभावना रहती है, अत: इसकी रोकथाम के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी 200 ग्राम/हेक्टेयर या डायमेथोएट 30% ईसी 1.0 ली/हे. की 600-700 की दर से घोल लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।5• गेहूं की कटाई के बाद उस खेत मे हरी खाद की फसल बोने के लिए खेत में पलेवा करें। हरी खाद के लिए ढ़ेचा अथवा सनई की बुवाई की जा सकती है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। बुवाई के समय नत्रजन 15 किलोग्राम एवं फास्फोंरस 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेर उपयोग करना चाहिए। इसकी बुवाई के लिए बीज दर 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेर है। बुवाई के 45-50 दिन बाद खेत मे इसकी पलटाई करने पर 20 से 25 टन हरा पदार्थ तथा 80 से 100 किलोग्राम नत्रजन मिट्टी को प्राप्त होता है। 6• सब्जियों की खड़ी फसल में निराई-गुड़ाई करें तथा शाम को 8-10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई का कार्य करें। गर्मी में बोई जाने वाली कद्दू, लौकी, तरोई, करेला, खीरा, खीरा, तरबूज, खरबूजा आदि की तैयार फसलों को काटकर बाजार में भेज दें।7• नए बागों की रोपाई के लिए गड्ढों की खुदाई करें। आम, अमरूद, नींबू, बेर, अंगूर, पपीता और लीची आदि के बागों में सिंचाई का कार्य करें। आम के फल को गिरने से बचाने के लिए बगीचों की सिंचाई करें या एसिटिक एसिड के 15 पीपीएम या 4 मिली प्लेनोफिक्स प्रति 9 लीटर पानी में घोल का छिड़काव करें। आम के फलों में कोयलिया विकार या आतंरिक सड़न रोग से बचाव के लिए 0.8 प्रतिशत बोरेक्स 0.8 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर 10 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।8• कददुवर्गीय सब्जियों में फल मक्खी कीट की संख्या जानने एवं उसके नियंत्रण हेतु कार्बरिल 0.2 प्रतिशत + प्रोटीन हाईड्रोलाइसेट या सीरा 0.1 प्रतिशत अथवा मिथाइल यूजीनाल 0.1 प्रतिशत + मैलाथियान 0.1 प्रतिशत का घोल को डिब्बे मे डालकर ट्रैप लगाए।9• भंडारण से पहले, अनाज को अच्छी तरह से साफ कर ले और इसे नमी की मात्रा के संस्तुति स्तर तक सुखा ले। पिछली फसल के सभी अनाज और अन्य भंडारण सामग्री को हटाकर गोदामों की अच्छी तरह से सफाई करके दीवारों की दरारें साफ और मरम्मत कर ले और दिवारों की सफेदी का कार्य करे। जो लोग खर्च कर सकते हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि 0.5% मैलाथियान घोल का छिड़काव करें और चेंबर को 7-8 दिनों के लिए बंद रखें। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बोरियों को 5% नीम के घोल से उपचारित करें। बोरियों को धूप में सुखाना चाहिए ताकि अंडे और कीड़े और साथ ही रोगों के इनोकुलम नष्ट हो जाएं।
👉 पशुपलन
1• वर्तमान मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पशुओं को रात के समय खुले में बांध दें। दिन में पशुओं को छाया वाले समय स्थान पर बांध दें। पशुओं को पेड़ के नीचे न बांधें क्योंकि इस सप्ताह हवाओं की गति के कारण पेड़ों की टहनियां गिरने की संभावना अधिक रहती है। पशुओं को हरा चारा और आसानी से पचने वाला खनिज मिश्रण और नमक खिलाएं। पशुओं को दिन में 3-4 बार साफ व ठंडा पानी पिलाना चाहिए। पेट में कीड़े की रोकथाम के लिए पशुओं को कृमिनाशक दवा देने का उपयुक्त समय है। पशुओं में खुरपका रोग और लगाड़िया बुखार से बचाव के लिए एफएमडी और वीक्यू का टीका अवश्य लगवाएँ। पशुओं को हरे व सूखे चारे के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें। गर्भवती पशुओं को ढलान वाली जगह पर न बांधें। पशुओं को सुबह-शाम नहलाएं।वसीम खान विषय वस्तु विशेषज्ञकृषि मौसम विज्ञानकृषि विज्ञान केंद्र, फतेहपुर