भव्य कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ भागवत कथा श्री हाकिम महाराज जी महाराज ने कराया कथा में प्रवेश ठकुरन गढ़ेवा रूरा कानपुर देहात सनातन परिवार की ओर से और श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ का शुभारंभ पावन कलश यात्रा के साथ हुआ। काली माता मंदिर से पूरे गांव में निकली कलश यात्रा सुविख्यात कथा प्रवक्ता श्री हाकिम महाराज जी ने अपने विधिविधान से पूजन अर्चन कराते हुए स्वयं पूजा कराते हुए बड़े ही धूम धाम और गाजे बाजे, ढोल तांसे, बैंड आदि के साथ कलश यात्रा की शुरुआत कराई। बड़ी संख्या में पीतवस्त्रधारी मात्रशातियों, सहयोगियों ने यात्रा में शामिल होकर राधे राधे जयघोष से सबको उत्साहित किया। कलश यात्रा के बीच राधा कृष्ण की मनमोहक झांकियों ने सबको मंत्रमुग्ध किया। गांव के मुख्य मार्ग से यात्रा का अल्प विश्राम काली माता मंदिर में हुआ और वहां से सभी श्रद्धालु, पहुंच कर विशाल पांडाल में बनाये गए दिव्य मंच पर कलशों की स्थापना तथा प्रसाद ग्रहण किया। का संगीतमय सरस पाठ करने बाद सुमधुर भजन प्रस्तुत किए। हाकिम महाराज जी के व्यासपीठ पर आगमन होते ही भागवत भगवान की आरती के साथ कथा में सुप्रवेश हुआ। महाराजश्री ने भागवत के पहले श्लोक सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयम नुमःवासुदेव सुतं देवम् कंस चानुर मर्दनम् देवकी परमानंदम् कृष्णम् वंदे जगदगुरुम् के उच्चारण के साथश्रीमद् भागवत कथा के महात्म्य पर विस्तार से चर्चा की।श्रीमद् भागवत कथा सुनने से जीव का कल्याण होता है।भागवत कथा में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, ज्ञानयोग, कर्मयोग, समाजधर्म, स्त्रीधर्म, राजनीति का ज्ञान होता है. भागवत कथा को परमात्मा का अक्षर स्वरूप माना जाता है।भागवत कथा को परमहंसों की संहिता कहा जाता है।भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है. भागवत कथा के पाठ के लिए संकल्प लेना होता है. भागवत कथा का पाठ सात दिन में, सात महीने में, या सात एकादशी में पारण किया जा सकता है। कलश यात्रा, दिवस कथा प्रारंभ और समापन आरती में मुख्य यजमान राम नरेश शर्मा रामबली शर्मा डॉ .राम किशोर शर्मा जगदीश शर्मा प्रेम कुमार शर्मा सर्वेश कुमार शर्मा रामजी शर्मा आलोक कुमार शर्मा मंजीत कुमार शर्मा सुजीत शर्मा राजन शर्मा सूरज शर्मा प्रदीप कुमार शर्मा अतुल कुमार शर्मा सनी शर्मा शिवकरन शर्मा शिवम् कुमार शर्मा प्रखर शर्मा व उनका परिवार, संरक्षक आदि सहित मुख्य सेवायत ने भाग लिया। कथायज्ञ की भूमिका की और हाकिम महाराज जी ने सभी ग्राम वासियों व क्षेत्र वासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में सपरिवार मोक्षदायिनी कथा का श्रवण करने का आवाहन किया।
