सोमवार, मार्च 24, 2025
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भगलेश्वर महादेव मंदिर सरगांव बुजुर्ग में बड़ी धूमधाम से निकली कलश शोभा यात्रा

न्यूज समय तक ब्यूरो शिवकरन शर्मा कानपुर देहात *भगलेश्वर महादेव मंदिर सरगांव बुजुर्ग में बड़ी धूमधाम से निकली कलश शोभा यात्रा।* कानपुर देहात। विकासखंड डेरापुर की ग्राम पंचायत सरगांव बुजुर्ग में स्थित भगलेश्वर महादेव मंदिर में भव्य एवं पारंपरिक वेश में सोमवार से श्री मद् भागवत कथा, राम कथा का कलश यात्रा के साथ शुभारंभ हुआ। गांव के ही कार्यक्रम व्यवस्थापक रतन द्विवेदी के नेतृत्व में कलश शोभा यात्रा गांव में बने भगलेश्वर महादेव मंदिर से होकर गौरियापुर पहुंच पवित्र नदी के जलस्त्रोत से जल भरने के साथ शुरू हुई कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु शामिल रहीं। पवित्र जलस्त्रोत से कलश को भर कर लाने के बाद ने कथा आयोजन स्थल पर धार्मिक विधि एवं मंत्रोच्चरण के साथ स्थापित किया गया। वहीं अनेई बिल्हौर से पधारे राम कथा वाचक आचार्य ऋषिकांत त्रिवेदी ने अपने मुखार बिंदु से आरती करवाई । आरती के साथ शुरू किए गए श्रीमद् भागवत कथा में कानपुर से पधारे कथावाचक श्रीकांत त्रिवेदी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम इसकी महिमा से अवगत कराया।उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में श्रीमद् भागवत कथा श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वो तीर्थ स्थल कहलाता है। इसका सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु प्रेमियां को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है। इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अगर कोई सात तक किसी व्यवस्तता के कारण नहीं सुन सकता है, तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकालें। तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है। इसके सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ साथ मोक्ष को प्राप्त करता है। शास्त्री ने बताया कि इस कथा को सबसे पहले अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने सुना था, जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्य़ु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था। वहीं व्यवस्थापक रतन द्विवेदी ने बताया कि श्रीमद् भागवत कार्यक्रम का आयोजन विगत कई वर्षों से ग्रामवासियों व क्षेत्रवासियों के सहयोग से होता आ रहा है।

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