मंगलवार, जुलाई 8, 2025
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बेटे की संदिग्ध मौत पर,पड़ोसी को तीन साल रहना पड़ा जेल

न्यूज समय तक ब्यूरो शिवकरन शर्मा कानपुर देहात बेटे की संदिग्ध मौत पर,पड़ोसी को तीन साल रहना पड़ा जेल मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और वादी के बयानों में थी भिन्नता**निर्दोष रूप से मासूम बच्चों के साथ काटती रही जेल**मजदूरी करके अपने पति व बच्चों की करनी पड़ी परवरिश*मोहन कुमार ब्यूरो लोकजन संदेश,कानपुर देहात। बरौर थाना क्षेत्र में 27दिसंबर 2021 को मुंडेरा गांव में युवक दीपांशु सचान का शव खलिहान से बरामद हुआ था। घटना क्रम में उसके पिता ने शक के आधार पर डेढ़ लाख रुपए वापिस मांगने पर हत्या का आरोप लगाते हुए पड़ोसी अनुसूचित राम कुमार,उसकी पत्नी रामादेवी,लवकुश और अविनाश के खिलाफ पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया था। तीन साल तक चली सुनवाई और विवेचना में अभियुक्त का घटना के समय आरोपी अविनाश का बंगलौर में नौकरी करते पाए जाने पर आरोप पत्र से नाम हटा दिया गया। जबकि महिला अभियुक्त रमादेवी को भी छोटे बच्चों के साथ करीब 8 माह जेल में काटने पड़े। पूरे प्रकरण में वादी गुरु प्रसाद द्वारा लिखाए मुकदमा में बतौर गवाह उसकी पत्नी, एक रिश्तेदार,पोस्ट मार्टम करने वाले डॉक्टर अंकित कटियार, एफ आई आर लेखक और तत्कालीन विवेचक दरोगा ब्रिज किशोर, इंस्पेक्टर गंगा सिंह की गवाही हुई। आरोप पत्र ने जहां शराब पिलाकर मारने की बात वादी ने कही थी। वहीं पोस्टमार्टम में अल्कोहल जैसी कोई वस्तु नहीं मिलने से विरोधा भासी बयान देखने को मिले। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने भी चोटों पर संदेह की गुंजाइश डालते हुए कहा कि इस तरह की चोटें सामान्य तौर पर गिरने से भी आ सकतीं है। मृतक अपराधी भी था और बाहरी जिले में पुलिस से हॉफ एनकाउंटर भी हुआ इस बात को मृतक के पिता रिश्तेदार और मां ने लगातार छिपाने का प्रयास किया। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में मृतक के और तमाम विरोधी भी हो सकते थे लेकिन पुलिस की जांच दिशा भटकने से बेकसूर आरोपी जेल काटता रहा। बचाव पक्ष से बहस करने वाली विद्वान अधिवक्ता सरोज दीक्षित के अनुसार तीन साल तक न्यायालय अपर जिला सत्र एवं न्यायाधीश(एच जे एस) ए पी गौतम के यहां चली जोरदार बहस के बाद तीनों अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। न्यायालय से बाहर आते ही रमा देवी ने रोते हुए बताया कि बेकसूर साबित करने में पति राम कुमार को 3 साल जेल में रहना पड़ा। चार छोटे बच्चों को भी मां के साथ 8 माह जेल में बिताने पड़े। एक बच्चे के दिल की गंभीर बीमारी है उसका भी जेल प्रशासन ने इलाज कराया। जमानत पर छूटने के बाद उसने तीन साल 27 दिन मजदूरी करते हुए बहुत ही संघर्ष करना पड़ा जो कभी नहीं भूला जा सकेगा। जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं है। *महत्वपूर्ण खबर हेडिंग और क्राशर पूरे लगाना है*

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