निचले कर्मियों पर गिर रही गाज, थाना प्रभारी कर रहे मौज
– पशु तस्कर को छोडने वाले थरियांव थाने के दोनो सिपाही लाइन हाजिर
– कार्रवाई की जद से बच गया पशु तस्कर को छोड़ने व उनको संरक्षण देने वाला इंस्पेक्टर
– आरोप सिद्ध होने के बावजूद कार्रवाई से कतरा रहे अफ़सर 👉
( विवेक मिश्र )
पुलिस अधीक्षक की सख्ती के बावजूद जिले में गोकसी व पशु तस्करी पर लगाम नहीं लग रही है। जिसकी प्रमुख वजह अपराधियो को स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त होना है। हाल ही में खखरेरू थानाध्यक्ष दीप नारायण सरोज व उनके दो अधीनस्थ एसआई व सिपाहियों ने गोकसी के आरोपियों को पकड़ा फिर सुविधा शुल्क लेकर रात में ही सभी को छोड़ दिया। जबकि गोमांस को थाने के ही पीछे तालाब के किनारे जमीन में दफना दिया। इस मामले में पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह ने दो उपनिरीक्षकों समेत चार पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। जबकि सूत्र बताते हैं कि एक स्थानीय सत्ताधारी की वजह से थानाध्यक्ष पर जांच के नाम पर अफसरों की कृपा बरकरार है जबकि सीओ सिटी संजय सिंह की जांच में थानाध्यक्ष दीप नारायण गोकसी में संलिप्त पाया गया है। जांच में दोषी होने के बावजूद अभी तक थानाध्यक्ष का निलंबन नहीं हो पाया है। गोकसी के आरोपियों का साथ देने व घटना का साक्ष्य मिटाने ( गोमांस दफनाने के मामले ) में भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं तय हो पाई है। जबकि ऐसे मामलों में गोहत्यारों के सहयोगी बने पुलिसकर्मियों पर भी एफआईआर दर्ज करना न्याय संगत होता।
इसी क्रम में लगभग एक सप्ताह पूर्व थरियांव थाने का कारखास रणविजय व विजय बहादुर थाना क्षेत्र के एक गांव से एक पशु तस्कर सलमान को पकड़कर लाये थे जिसे आरोप है कि रात भर थाने में रखकर एक दलाल के माध्यम से थानाध्यक्ष नंदलाल सिंह ने रिश्वत लेकर छोड़ दिया। इस मामले में भी थानाध्यक्ष पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है, छोटे कर्मियों पर कार्रवाई करके मामला रफा दफा कर दिया गया। जबकि थाने में कोई भी अभियुक्त आने के बाद बिना थानाध्यक्ष की मर्जी के न ही जेल भेजा जा सकता है और न ही छोड़ा जा सकता है। लेकिन इस मामले में भी दोषी सिर्फ निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को ही माना गया। जबकि विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इंस्पेक्टर ने अपनी गर्दन फंसते देख अपने कारखास समेत दूसरे सिपाही के खिलाफ रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को देकर अपनी सीट बचा ली। इस बाबत पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह ने कहा कि दो सिपाहियो को लाइन हाजिर किया गया है। प्रकरण की जांच की जा रही है अन्य किसी की भूमिका मिलेगी तो उस पर भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।☀
☀ फतेहपुर ख़ास खबर ।
निचले कर्मियों पर गिर रही गाज, थाना प्रभारी कर रहे मौज
– पशु तस्कर को छोडने वाले थरियांव थाने के दोनो सिपाही लाइन हाजिर
☀ फतेहपुर ख़ास खबर ।
निचले कर्मियों पर गिर रही गाज, थाना प्रभारी कर रहे मौज
– पशु तस्कर को छोडने वाले थरियांव थाने के दोनो सिपाही लाइन हाजिर
– कार्रवाई की जद से बच गया पशु तस्कर को छोड़ने व उनको संरक्षण देने वाला इंस्पेक्टर
– आरोप सिद्ध होने के बावजूद कार्रवाई से कतरा रहे अफ़सर 👉
( विवेक मिश्र )
पुलिस अधीक्षक की सख्ती के बावजूद जिले में गोकसी व पशु तस्करी पर लगाम नहीं लग रही है। जिसकी प्रमुख वजह अपराधियो को स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त होना है। हाल ही में खखरेरू थानाध्यक्ष दीप नारायण सरोज व उनके दो अधीनस्थ एसआई व सिपाहियों ने गोकसी के आरोपियों को पकड़ा फिर सुविधा शुल्क लेकर रात में ही सभी को छोड़ दिया। जबकि गोमांस को थाने के ही पीछे तालाब के किनारे जमीन में दफना दिया। इस मामले में पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह ने दो उपनिरीक्षकों समेत चार पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। जबकि सूत्र बताते हैं कि एक स्थानीय सत्ताधारी की वजह से थानाध्यक्ष पर जांच के नाम पर अफसरों की कृपा बरकरार है जबकि सीओ सिटी संजय सिंह की जांच में थानाध्यक्ष दीप नारायण गोकसी में संलिप्त पाया गया है। जांच में दोषी होने के बावजूद अभी तक थानाध्यक्ष का निलंबन नहीं हो पाया है। गोकसी के आरोपियों का साथ देने व घटना का साक्ष्य मिटाने ( गोमांस दफनाने के मामले ) में भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं तय हो पाई है। जबकि ऐसे मामलों में गोहत्यारों के सहयोगी बने पुलिसकर्मियों पर भी एफआईआर दर्ज करना न्याय संगत होता।
इसी क्रम में लगभग एक सप्ताह पूर्व थरियांव थाने का कारखास रणविजय व विजय बहादुर थाना क्षेत्र के एक गांव से एक पशु तस्कर सलमान को पकड़कर लाये थे जिसे आरोप है कि रात भर थाने में रखकर एक दलाल के माध्यम से थानाध्यक्ष नंदलाल सिंह ने रिश्वत लेकर छोड़ दिया। इस मामले में भी थानाध्यक्ष पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है, छोटे कर्मियों पर कार्रवाई करके मामला रफा दफा कर दिया गया। जबकि थाने में कोई भी अभियुक्त आने के बाद बिना थानाध्यक्ष की मर्जी के न ही जेल भेजा जा सकता है और न ही छोड़ा जा सकता है। लेकिन इस मामले में भी दोषी सिर्फ निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को ही माना गया। जबकि विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इंस्पेक्टर ने अपनी गर्दन फंसते देख अपने कारखास समेत दूसरे सिपाही के खिलाफ रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को देकर अपनी सीट बचा ली। इस बाबत पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह ने कहा कि दो सिपाहियो को लाइन हाजिर किया गया है। प्रकरण की जांच की जा रही है अन्य किसी की भूमिका मिलेगी तो उस पर भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।☀
तस्कर को छोडने वाले थरियांव थाने के दोनो सिपाही लाइन हाजिर
– कार्रवाई की जद से बच गया पशु तस्कर को छोड़ने व उनको संरक्षण देने वाला इंस्पेक्टर
– आरोप सिद्ध होने के बावजूद कार्रवाई से कतरा रहे अफ़सर
पुलिस अधीक्षक की सख्ती के बावजूद जिले में गोकसी व पशु तस्करी पर लगाम नहीं लग रही है। जिसकी प्रमुख वजह अपराधियो को स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त होना है। हाल ही में खखरेरू थानाध्यक्ष दीप नारायण सरोज व उनके दो अधीनस्थ एसआई व सिपाहियों ने गोकसी के आरोपियों को पकड़ा फिर सुविधा शुल्क लेकर रात में ही सभी को छोड़ दिया। जबकि गोमांस को थाने के ही पीछे तालाब के किनारे जमीन में दफना दिया। इस मामले में पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह ने दो उपनिरीक्षकों समेत चार पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। जबकि सूत्र बताते हैं कि एक स्थानीय सत्ताधारी की वजह से थानाध्यक्ष पर जांच के नाम पर अफसरों की कृपा बरकरार है जबकि सीओ सिटी संजय सिंह की जांच में थानाध्यक्ष दीप नारायण गोकसी में संलिप्त पाया गया है। जांच में दोषी होने के बावजूद अभी तक थानाध्यक्ष का निलंबन नहीं हो पाया है। गोकसी के आरोपियों का साथ देने व घटना का साक्ष्य मिटाने ( गोमांस दफनाने के मामले ) में भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं तय हो पाई है। जबकि ऐसे मामलों में गोहत्यारों के सहयोगी बने पुलिसकर्मियों पर भी एफआईआर दर्ज करना न्याय संगत होता।
इसी क्रम में लगभग एक सप्ताह पूर्व थरियांव थाने का कारखास रणविजय व विजय बहादुर थाना क्षेत्र के एक गांव से एक पशु तस्कर सलमान को पकड़कर लाये थे जिसे आरोप है कि रात भर थाने में रखकर एक दलाल के माध्यम से थानाध्यक्ष नंदलाल सिंह ने रिश्वत लेकर छोड़ दिया। इस मामले में भी थानाध्यक्ष पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है, छोटे कर्मियों पर कार्रवाई करके मामला रफा दफा कर दिया गया। जबकि थाने में कोई भी अभियुक्त आने के बाद बिना थानाध्यक्ष की मर्जी के न ही जेल भेजा जा सकता है और न ही छोड़ा जा सकता है। लेकिन इस मामले में भी दोषी सिर्फ निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को ही माना गया। जबकि विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इंस्पेक्टर ने अपनी गर्दन फंसते देख अपने कारखास समेत दूसरे सिपाही के खिलाफ रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को देकर अपनी सीट बचा ली। इस बाबत पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह ने कहा कि दो सिपाहियो को लाइन हाजिर किया गया है। प्रकरण की जांच की जा रही है अन्य किसी की भूमिका मिलेगी तो उस पर भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।☀