न्यूज समय तक
थारियावं कृषि विज्ञान केंद्र में डॉ. साधना वैश ने केंन्द्र का संभाला चार्ज।
श्रीराम अग्निहोत्री न्यूज़ समय तक ब्यूरो चीफ फतेहपुर*फतेहपुर … जिले के थारियावं कृषि विज्ञान केन्द्र में डॉ. साधना वैश ने अध्यक्ष पद के कार्य का दायित्व संभालते ही वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यों को सुचारू रूप से संचालन करने हेतु बैठक किया गया। जिसमें सभी संचालित इकाइयों, क्षेत्र एवं गांव में संचालित किए जाने वाले कार्यक्रमों के दायित्व का निर्धारण कर उन सभी कार्यक्रमों को तकनीकी प्रबंधन के साथ संचालित करने के दिशा निर्देश जारी किया। वैज्ञानिकों ने अपने- अपने सुझाव दिए गए हैं। जिसमें कार्यालय व कृषकों के बीच में किए जाने वाले आगामी खरीफ फसल के कार्य ,रणनीति पर सुझाव दिए गए।कृषि विज्ञान की गतिविधियों के प्रचार- प्रसार हेतु
मीडिया प्रभारी/ मौसम वैज्ञानिक वसीम खान को नियुक्त किया गया। जिनके माध्यम से जनपद में कृषि तकनीकी, मौसम व अन्य सभी कार्यक्रमों की जानकारी का प्रसारण मीडिया के माध्यम से किया जाएगा। बैठक के उपरांत वैज्ञानिकों के साथ संचालित इकाइयों में भ्रमण किया गया। जिसमें संबंधित वैज्ञानिक को यूनिट की यथास्थिति के अनुसार कार्यक्रमों को और बेहतर बनाने हेतु सुझाव व निर्देश दिए गए ।जिसमें प्राकृतिक खेती में इस समय मक्का की खेती की गई है। डेरी यूनिट में गोवंश की संख्या बढी है। उसको बेहतर ढंग से संचालित करने हेतु सुझाव दिए गए। मक्का – बाजरा व ऊर्द – मूंग की प्रजाति फसलों का प्रदर्शन किया गया है। जिस पर जनपद के कृषक आकर जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।डा० जितेन्द्र सिंह कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र में मक्का, बाजरा , मूंग ,उर्द के प्रदर्शन लगाये गये हैं। जनपद में मोटे अनाज ( श्री अन्न ) को बढ़ावा देने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र में खरीफ-2022 से ही मोटे अनाज की के प्रदर्शन कराए गए थे इस वर्ष भी 2023 में मोटे अनाज के प्रदर्शन कराए जाने की योजना है । मोटे अनाज पर एक बडी कार्यशाला आयोजित की जायेगी । किसान भाई इस समय खेत की जुताई करे तथा हरी खाद की बुआई हेतु तैयारी कर बुआई करे।
गर्मी में पशुओं की देखभाल कैसे करें
इन दिनों तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है। ऐसे मे पशुओं में हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में पशुओं की पाचन प्रणाली और दुग्ध उत्पादन क्षमता पर उल्टा प्रभाव पड़ता है। इससे पशुओं की उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता में भी गिरावट आ जाती है। ऐसे में पशुओं की देखभाल में जरा भी लापरवाही की तो पशुओं को नुकसान पहुंच सकता है। यदि शीघ्र उपचार नहीं मिला तो पशुओं की मौत तक हो जाती है। जैसा की पशुपालक भाई जानते हैं, यदि तापमान में 1 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि होती है तो दुग्ध उत्पादन में 10-15 प्रतिशत की हानि होती है ।पशुशाला में पशुओं की संख्या अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक पशु को उसकी आवश्यकता अनुसार पर्याप्त स्थान मिलना चाहिए। सामान्य व्यवस्था में गाय को चार से पांच एवं भैंस सात से आठ वर्गमीटर खुले स्थान बाड़े के रूप में प्रति पशु उपलब्ध होना चाहिए। पशुओं को नहलाने का उचित प्रबंध होना चाहिए। *हीट स्ट्रोक के लक्षण*1. सुबह के समय मवेशी के शरीर का सामान्य तापमान 100 से 102 डिग्री तथा दोपहर से शाम तक 104 से 106 डिग्री फारेनहाईट तक हो जाता है। 2. गर्मी के मौसम में पशुओं का स्वशन गति बढ़ जाता है पशु हाफने लगता है उसके मुंह से लार गिरने लगती है।3. शरीर का तापमान बढऩे के कारण मवेशी खाना पीना छोड़ देते हैं। कुछ पशु तो लगभग 50 प्रतिशत ड्राई मैटर खाना छोड़ देते है।4. पशु कमजोर होने लगता है दुधारू मवेशी दूध कम कर देते हैं।5. पशुओं में पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है।6. शरीर में पानी की कमी होने से गोबर रुक जाता है।7. यदि नर पशु लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी में रहे तो उसके वीर्य की गुणवत्ता में गिरावट आती है।8. लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी में रहने पर पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।9 अत्यधिक गर्मी के कारण मादा पशुओं के प्रजनन दर में कमी आ जाती है।
गर्मी में पशुओं का आहार प्रबंधन
▪︎ पशुओं को हरा चारा देना चाहिए अगर हरा चारा उपलब्ध ना हो तो पेड़ की पत्ती जैसे आम की पत्ती, बबूल की पत्ती, जामुन के पत्ते इत्यादी देना चाहिए।
▪︎चूंकि गर्मी में पशु आहार खाना कम कर देते है इसलिये संतुलित राशन देना चाहिए जिससे पशुओं की उत्पादन क्षमता बनी रहे।
▪︎गर्मियों के मौसम में पैदा की गई ज्वार या चरी जहरीला हो सकती है जो पशुओं के लिए हानिकारक होतीं हैं। अत: इस मौसम में यदि बारिश नहीं हुई है तो इन चारों को खिलाने के पहले खेत में 2-3 बार पानी लगाने के बाद ही खिलाना चाहिए।क्या बरतें सावधानी
▪︎पशुओं को छायादार स्थान पर रखें धूप में चरने के लिए ना छोड़े ।
▪︎गर्मी के मौसम में पशुओं को प्रात: काल 9:00 बजे तक एवं शाम 5:00 बजे के बाद चराना चाहिए क्योंकि इस समय तापमान कम रहता है।▪︎धूप से लाने के बाद कुछ देर छाया में बांधे तब पानी पिलाएं। ▪︎सुबह और शाम को सूर्यास्त के बाद नहलाने का प्रयास करें।▪︎पशुशाला के ऊपर पुआल डालें ताकि वह गर्म ना हो।▪︎हमेशा पशुओं को बांधने के लिए छायादार और हवादार स्थान का ही चयन करे।▪︎यदि संभव हो तो डेयरी शेड में दिन के समय कूलर, पंखे आदि का इस्तेमाल करे।▪︎दोपहर के समय खिड़की और दरवाजे को जूट या टाट से अच्छी तरह से ढंक देना चाहिए और उस पर समय-समय पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए ।▪︎जो किसान सक्षम है वह पशुशाला के अन्दर दुधारू पशुओं के लिए स्प्रिंकलर या फव्वारा लगा सकते हैं। प्रयोगों से यह साबित हुआ है कि दोपहर को पशुओं पर ठंडे पानी का छिड़काव उनके उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।▪︎पशु को पीने के लिए ठंडा साफ सुथरा पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए।▪︎भैंसों को गर्मी में 3-4 बार और गायों को कम से कम 2 बार नहलाना चाहिए।▪︎विशेष रूप से भैंसों के लिए तालाब होना जरूरी है जिसमें वे कुछ देर तक रह सके, इससे भैंस का शारीरिक तापमान कम होता है।▪︎पशुशाला में प्रत्येक पशुओं को पर्याप्य मात्रा में स्थान उपलब्ध कराये।▪︎पशुशाला के छत की ऊंचाई अधिक से अधिक हो।