न्यूज़ समय तक
ढूंढ़े नहीं मिल रहे वन विभाग द्वारा रोपे गए पौधे
लापरवाही की धूप… पेड़ बनने से पहले ही सूख गए पौधे
टैगिंग होने के पश्चात भी नहीं सुरक्षित रहे पौधे
अंबेडकरनगर
वन विभाग हर बारिश से पहले लाखों पौधे लगवाता है। इस पर करोड़ों रुपए भी खर्च होते हैं। इसके बावजूद इनमें से आधे से अधिक पौधे देखरेख और सुरक्षा नहीं मिलने पर समय से पहले ही दम तोड़ देते हैं। इस बार भी जनपद का लक्ष्य 2500000 पौधों का था और हुआ भी वही। केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है पौध रोपण कार्यक्रम धरातल पर देखने के लिए महज कुछ ही पौधे यदा-कदा कहीं दिखाई पड़ेंगे।हालत यह है कि कई जगह पिछले वर्ष वर्ष लगाए गए पौधों में से एक भी नहीं बचा है। हजारों-लाखों पौधे पेड़ बनने की होड़ से बाहर हो चुके हैं।
जिले में बड़े पैमाने पर पौधे रोपे गए, लेकिन आज पौधे ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। विभाग की अनदेखी के चलते पिछले पांच वर्षों से जिले में वनावरण का दायरा नहीं बढ़ पा रहा है।यहां गिनती के पौधे ही नजर आ रहे हैं। देख रेख के अभाव में अधिकांश पौधे सूख गए या फिर निराश्रित पशुओं का आहार बन गये। ऐसा ही हाल अन्य गांवों का है।वनमहोत्सव अभियान के तहत वन विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर पौधे रोपित किए गए थे। इस समय देखने को कुछ ही जीवित हैं। अधिकांश पौधे सूख चुके हैं। गायब हो चुके हैं।लेकिन पानी का अभाव व गर्मी पौधों पर भारी पड़ रही है। कुछ अनदेखी भी है, जिसके चलते पौधरोपण के बाद में भी इनके बचने की उम्मीद कम है। पौधे रोपने वाले विभागों के जिम्मेदार अपने यहां रोपे गए पौधों की देखभाल को संजीदा नहीं हैं। पौधरोपण पर सरकार का विशेष जोर है। जिले में भी पौधरोपण के साथ में इनकी देखभाल को लेकर डीएम ने आदेश दिए थे, लेकिन इसके बाद भी कई विभागों द्वारा रोपे गए पौधों का हाल बता रहा है कि विभागों ने पौधे रोप जियो टेगिंग कर कागजी कार्रवाई तो पूरी कर ली, लेकिन पौधों को सुरक्षित रखने पर वह गंभीर नहीं हैं। शुक्रवार तक सूख कर मुरझा रहे पौधे शनिवार को हुई बरसात में कुछ चमकते से नजर आए। मानो यह पौधे कह रहे हों, जिन्होंने हमें लगाते वक्त फोटो खिंचाकर बड़ी-बड़ी बातें की थी वो तो सूखने के लिए छोड़ गए, लेकिन भगवान ने सुन ली एवं बारिश की बूंदों के रूप में जीवनदान दिया।
नगर पालिका व पंचायत द्वारा रोपे गए पौधों का भी हाल जुदा नहीं है। हालांकि वन विभाग के अधिकारियों के नेतृत्व में टीमें वन विभाग के पौधरोपण वाले स्थलों पर सक्रिय नहीं है। सूखे हुए पौधों को हटाकर नए पौधे लगाए भी नहीं जा रहे हैं, ताकि हरियाली का लक्ष्य हकीकत में नजर आए। यह जानकारी वन विभाग में कार्यरत लिपिक विजय श्रीवास्तव द्वारा दी गई।पौधे लगाने पर पिछले वर्ष कितना खर्च हुआ, कितने पौधे लगाए गए और अभी उन पौधों की स्थिति क्या है, यह विभाग को पता ही नहीं है या शायद वह बताना नहीं चाहता।
