मंगलवार, अक्टूबर 3, 2023
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डॉक्टर ने बाहर की दवा लिखने में हासिल कर रखी है महारथ

जिला अस्पताल के कमरा नंबर एक के डॉक्टर ने बाहर की दवा लिखने में हासिल कर रखी है महारथ मरीज़ तथा तीमारदार की जेब में दिन दहाड़े कमरा नंबर एक के डॉक्टर डालते हैं डाकाकमरा नंबर एक में आने वाले मरीज को 1000 से 15 सौ रुपए के बीच लिखी जाती है बाहर की दवादलालों की दलदल में इस समय जिला अस्पताल का कमरा नंबर एकओपीडी शुरू होने से लेकर खत्म होने तक कमरा नंबर एक में बैठे रहते हैं दलाल और हर दलाल की डॉक्टर साहब लिखते हैं दवाकई दलालों के साथ तो शाम होते ही डॉक्टर के छलकते हैं जामआखिरकार जिला अस्पताल में कैसे सकार हो उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का सपना, जब मरीज तथा तीमारदारों की ढीली की जा रही जेबश्रीराम अग्निहोत्री न्यूज़ समय तक ब्यूरो फतेहपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जहां उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में आए दिन मेडिकल कॉलेज तथा जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करते रहते हैं वहीं उन्होंने प्रदेश के कई जनपदों के जिला अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार को देखते हुए कई डॉक्टरों के ऊपर कठोर कार्यवाही भी की है परंतु जनपद का जिला अस्पताल पूरी तरह से दलालों की दलाली में समाया हुआ है जिला अस्पताल का कमरा नंबर एक इन दोनों बाहर की दवाई लिखने पर महारथ हासिल कर रखी है कमरा नंबर एक में बैठने वाले डॉक्टर सुबह आते ही उनके चारों ओर दलालों का जाल बिछा होता है और डॉक्टर से पहले तो जिला अस्पताल के कमरा नंबर एक में दलालों का समय पर आना और कमरे में बराबर बैठना अपने आप में यह बड़ा सबूत देता है कि कमरा नंबर एक के डॉक्टर इन दोनों जिला अस्पताल में आने वाले मरीज़ तथा उनके तीमारदारों की जेब में डाका डालने का काम कर रहे हैं प्रत्येक मरीज को लगभग एक हजार से ₹1500सौ की दवाई बाहर की लिखी जा रही है तथा जांच के लिए भी उन्हें पैथोलॉजी का नाम बता कर भेजा जा रहा है वहीं जिला अस्पताल में एक यह भी देखने वाली बात है कि प्रत्येक कमरे पर बड़े-बड़े शब्दों पर लिखा हुआ है कि कोई भी डॉक्टर बाहर की दवा तथा जांच नहीं लिखेगा परंतु वह लिखावट मात्र अधिकारियों को दिखाने के लिए लिखा गया है अभी हाल ही में कमरा नंबर एक के डॉक्टर ने एक मरीज को ₹1500 की बाहर की दवा लिख दी और मरीज तथा उनके तीमारदार के मना करने पर उनके कमरे में बैठे दलाल ने मरीज को जिला अस्पताल के अंदर पड़कर डराते हुए कहा कि यदि तुम्हें ठीक होना हो तो तुम बाहर से दवा लेकर के आओ अन्यथा जिला अस्पताल में उपचार के लिए मत आना अब सोचने वाली बात यह है कि जिला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक तथा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य स्वयं बैठ हैं और उनके नाक के नीचे हजारों रुपए की दवाएं प्रतिदिन बाहर की लिखी जा रही है जिससे साफ जाहिर होता है कि उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के सपनों पर पानी फेरने का काम जिला अस्पताल का कमरा नंबर एक के डॉक्टर कर रहे हैं और मरीजों को लूटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे!?

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