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ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है ग्राम सचिवालय का कोई लाभ, जिम्मेदार बने अंजान
केवल कागजों में ही संचालित हो रहे ग्राम सचिवालय, हकीकत कुछ और
ग्राम सचिवालय की वाईफाई बनी हवा हवाई
अंबेडकरनगर
प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय स्थापित करने के लिए निर्मित कराए जा रहे पंचायत भवनों को आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित करने को लेकर शासन गंभीर है। गांव को डिजिटल करने के उद्देश्य से पंचायत सहायकों की तैनाती भी की जा चुकी है।ग्रामीणों को गांव में ही सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खोले गए ग्राम सचिवालय आज मात्र दिखावा रह गए हैं।
लाखों रुपए की लागत से निर्मित मिनी सचिवालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। विकास क्षेत्र अकबरपुर के ग्राम कटारिया सम्मनपुर में वर्ष 2021 में ग्राम सचिवालय का निर्माण लाखों रुपए की लागत से कराया गया। ग्राम सचिवालय में लगी हुई टाइल्स जमीन धंसने के कारण दरार आना शुरू हो गई जिससे ग्राम पंचायत भवन के निर्माण की गुणवत्ता की पोल खुल रही है। मीडिया की पड़ताल में कटरिया सम्मनपुर में तैनात पंचायत सहायक रीना वर्मा उपस्थित मिली परंतु नेट की व्यवस्था ना चालू होने के कारण किसी भी प्रकार का कार्य होना नहीं बताया गया और पंचायत सहायक द्वारा बताया गया ग्राम विकास अधिकारी प्रियंका श्रीवास्तव मेडिकल लीव पर है राजस्व विभाग से लगभग 1 माह पहले ग्राम सचिवालय पर उपस्थित उपस्थिति दर्ज हुई थी उसके पश्चात राजस्व विभाग का कर्मचारी ग्राम सचिवालय पर आना उचित नहीं समझा। ग्राम सचिवालय पर लगा समरसेबल केवल दिखावे के लिए लगा हुआ है बिजली की पर्याप्त व्यवस्था ना होने के कारण या पूर्ण रूप से निसप्रयोजय है। सबसे बड़ी बात तैयार की कटारिया सम्मनपुर पंचायत भवन पर पहुंचने के लिए रास्ते की व्यवस्था ही नहीं। किसी प्रकार अगर कोई ग्रामवासी अपने कार्य से ग्राम सचिवालय पर पहुंचना चाहता है तो खेत वाले गाली देना शुरू कर देते हैं कि मेरा नुकसान हो रहा है इधर से आने जाने का रास्ता नहीं है ऐसी स्थिति में कटारिया सम्मनपुर ग्राम सचिवालय पर पहुंच पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय स्थापित करने के लिए निर्मित कराए जा रहे पंचायत भवनों को आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित करने को लेकर शासन गंभीर है। गांव को डिजिटल करने के उद्देश्य से पंचायत सहायकों की तैनाती भी की जा चुकी है।ग्रामीणों को गांव में ही सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खोले गए ग्राम सचिवालय आज मात्र दिखावा रह गए हैं।
नवनिर्मित पंचायत भवनों में ताला लटक रहा है। ग्राम प्रधान व सचिवों की उदासीनता ग्राम पंचायतों के डिजिटलाइजेशन की राह में बाधा बनी है। इससे ग्रामीणों को योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उन्हें आज भी विभिन्न प्रमाण पत्रों के लिए तहसीलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। ग्रामीणों को आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र से लेकर खसरा-खतौनी निकालने जैसे कार्यों के लिए तहसीलों का चक्कर न लगाना पड़े, साथ ही उन्हें जन्म व मृत्यु का पंजीकरण कराने के लिए भी परेशान न होना पड़े, इसके लिए प्रत्येक गांव में पंचायत भवनों को डिजिटल कर यह सुविधा दिए जाने की योजना संचालित है।
शासन ने जहां पंचायत भवनों के निर्माण को लेकर राज्य व वित्त आयोग की धनराशि से पैसा खर्च करने की खुली छूट दी है तो सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायक की नियुक्ति भी की जा चुकी है। और पंचायत सहायकों को वेतन का भुगतान भी दिया जा रहा है आखिर यह कैसी व्यवस्था जब ग्राम सचिवालय सुचारू ढंग से संचालित नहीं किए जा रहे हैं बिना कार्य किए हुए विभाग द्वारा वेतन बैठाकर के किस आधार पर दिया जा रहा है। कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा नाम ना छापने की शर्त पर कहा गया की आम जनता की गाढ़ी कमाई सरकार द्वारा नाजायज ढंग से खर्च किया जा रहा है जिसका कहीं सदुपयोग नहीं हो रहा है जब जनता को सुविधा नहीं मिल रही है तो जनता को सुविधा मुहैया करवाने के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।