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👉खाकी ने खाकी को ही किया दागदार क्या है मामला 2014 थाना बर्रा में लूट की घटना का हुआ खुलासा
👉आवेदक दया शंकर वर्मा मुख्यआरक्षी के पद पर 2014 में थाना बर्रा में तैनात रहे हैं आरक्षी की तैनाती के दौरान ही आवेदक के विरुद्ध मुकदमा संख्या 517/14 धारा 386,506,389 पंजीकृत किया गया था जिसमें आरोप पत्र संख्या 235 दिनांक 21/11/2014 को माननीय न्यायालय में प्रेषित किया गया आवेदक ने प्रार्थना पत्र की जांच एसीपी बाबू पुरवा द्वारा संपादित कराने की बात कही थी जिसकी जांच सहायक बाबू पुरवा पुलिस आयुक्त से कराने की कृपा करें का पत्र दिनांक 10 /6/ 2022 को दिया गया
तथा दिनांक 15/9/2022 को जांच के शिकायती पत्र में आरोपों का उल्लेख किया गया है जिसमें प्रभारी निरीक्षक बर्रा द्वारा निम्न आरोपों की पुष्टि के साक्ष्य प्राप्त ना हो सकने की रिपोर्ट लगा दी गई
आवेदक ने विपक्षी द्वारा जातिसूचक शब्दों से गाली गलौज आदि की शिकायत मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश से की
दिनांक 8/7/2017 को मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का आदेश भी F I R दर्ज कराने हेतु एसएसपी कानपुर नगर को लोक शिकायत पत्र संख्या दो पर देखा जा सकता है
जिसे अभी तक नजरअंदाज किया जा रहा तथा आरोपियों से सांठगांठ कर बचाया जा रहा है उक्त आरोपी शिकायत पत्र के आधार पर एसएचओ बर्रा, एसआई चौकी इंचार्ज बर्रा, एसीसीपी विकास कुमार पांडे गोविंद नगर आदि
पीड़ित एसआई दयाशंकर वर्मा द्वारा अलग-अलग शिकायत संख्या 92216400015222 से 5 शिकायतें अलग-अलग निम्न संख्याओं पर दर्ज कराई जा चुकी हैं
पीड़ित एसआई दयाशंकर वर्मा का आरोप है कि पुलिस के आईपीएस अधिकारियों सहित बर्रा प्रभारी निरीक्षक की सांठगांठ से आरोपियों को बचाया जा रहा है
पीड़ित एसआई दयाशंकर वर्मा को पुलिस विभाग के द्वारा न्याय ना मिलने की वजह से माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाना पड़ा
देखना यह होगा कि 2014 से लंबित थाना बर्रा का केस उच्च न्यायालय के आदेश पर खरा उतरेगा जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का भी आदेश कानपुर पुलिस द्वारा धरा का धरा रह गया
पीड़ित एसआई दयाशंकर वर्मा ने मानवाधिकार, एससी एसटी आयोग, गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय आदि पर भी जीमेल के माध्यम से कई बार प्राथमिकी दर्ज करवाई है उक्त कार्यालयों से तथा एससी एसटी आयोग, मानवाधिकार से भी पीड़ित एसआई दयाशंकर बर्मा को इंसाफ है हेतु आरोपियों के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करने का भी आदेश है जिसे उक्त विवेचक द्वारा सीपी महोदय के यहां पीड़ित एसआई को भेजने की बात कही जा रही है हालांकि नवनियुक्त विवेचक की ऑडियो भी वायरल है जिसमें वे स्वीकार भी कर रहे हैं कि f.i.r. पंजीकृत होगी
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