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ओला कैब कम्पनी में यात्रा करने वाले लोग कतई सुरक्षित नहीं हैं, कानपुरयह हम नहीं बल्कि ओला के रीजनल सेल्स मैनेजर अंकुर त्रिपाठी व विधिक सलाहकार ने लिखितरूप से स्वीकारा है। बताते चलें कि आज कानपुर पुलिस कमिश्नरेट, गुजैनी थाना क्षेत्र केे कारगिल पेट्रोल पम्प पर ओला ओला के रीजनल सेल्स मैनेजर अंकुर त्रिपाठी व विधिक सलाहकार की मौजूदगी में भौतिक परीक्षण किया गया।
श्री त्रिपाठी व विधिक सलाहकार की मौजूदगी में ओला ओला की गाड़ियों की बुकिंग कराई गई और जब गाड़ियां मौके पर आयीं तो सुरक्षा से सम्बन्धित मानकों में गाड़ियां फेल मिलीं। सुरक्षा से सम्बन्धित उपकरण किसी भी गाड़ी में नहीं मिले। यह तक देखने को मिला कि गाड़ी के नाम पर आवंटित ड्राईवर के स्थान पर दूसरा व्यक्ति गाड़ी चलाता मिला।
गौर तलब हो कि ओला से जुड़ी गाड़ी की फिटनेश, बीमा, रजिस्ट्रेशन, डाईवर के चरित्र की जाँच सहित अन्य कागजातों पर ओला कैब कम्पनी कतई ध्यान नहीं दे रही है और अपने कमीशन के लालच में भोली भाली जनता की ही नहीं अपितु हर आम-औ-खास व्यक्ति की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रही है।
रीजनल सेल्स मैनेजर की मानें तो ओला ओला कैब कम्पनी देश की सुरक्षा व्यवस्था के साथ भारी खिलवाड़ कर रही है। OLA कैब कम्पनी में अटैच अनेेक गाड़ियां जो चलन में नहीं उनके एप दूसरी गाड़ियों में धड़ल्ले से प्रयोग किये जा रहे हैं और उनके द्वारा बुकिंग की जा रही है। बताते चलें कि एक गाड़ी जो वर्षों से अर्मापुर थाना क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त होकर क्षति विक्षत हालत में खड़ी है। उसके नाम की फिटनेश, बीमा, टैक्स जमा करने की अवधि वर्षों पहले समाप्त हो चुकी है, उसके नाम पर भी ओला कैब कम्पनी धड़ल्ले से बुकिंग कर रही है और कैब में सफर करने वाले यात्रियों से खिलवाड़ कर रही है।
थाना परिसर में बिना किसी दबाव में और विधिक सलाहकार की मौजूदगी में ओला ओला कम्पनी के रीजनल सेल्स मैनेजर अंकुर त्रिपाठी ने लिखित रूप में स्वीकार किया है कि ओला की गाड़ियों में यात्रा करना सुरक्षित नहीं है। उन्होंने यह तक लिख दिया कि आतंकवादी हमलों में ओला की गाड़ी आसानी से प्रयोग की जा सकती है।
उपरोक्त जानकारी मैने पुलिस के उच्चाधिकारियों तक प्रेषित कर दी है। अब देखना यह है कि पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी क्या ओला कैब कम्पनी के विरुद्ध कार्यवाही करने का साहस जुटा पायेेंगे या अदृश्य ऊपरी अर्थात आकाशीय चमत्कार की चमक में आँख बन्द कर लेंगे
श्री त्रिपाठी व विधिक सलाहकार की मौजूदगी में ओला ओला की गाड़ियों की बुकिंग कराई गई और जब गाड़ियां मौके पर आयीं तो सुरक्षा से सम्बन्धित मानकों में गाड़ियां फेल मिलीं। सुरक्षा से सम्बन्धित उपकरण किसी भी गाड़ी में नहीं मिले। यह तक देखने को मिला कि गाड़ी के नाम पर आवंटित ड्राईवर के स्थान पर दूसरा व्यक्ति गाड़ी चलाता मिला।
गौर तलब हो कि ओला से जुड़ी गाड़ी की फिटनेश, बीमा, रजिस्ट्रेशन, डाईवर के चरित्र की जाँच सहित अन्य कागजातों पर ओला कैब कम्पनी कतई ध्यान नहीं दे रही है और अपने कमीशन के लालच में भोली भाली जनता की ही नहीं अपितु हर आम-औ-खास व्यक्ति की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रही है।
रीजनल सेल्स मैनेजर की मानें तो ओला ओला कैब कम्पनी देश की सुरक्षा व्यवस्था के साथ भारी खिलवाड़ कर रही है। OLA कैब कम्पनी में अटैच अनेेक गाड़ियां जो चलन में नहीं उनके एप दूसरी गाड़ियों में धड़ल्ले से प्रयोग किये जा रहे हैं और उनके द्वारा बुकिंग की जा रही है। बताते चलें कि एक गाड़ी जो वर्षों से अर्मापुर थाना क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त होकर क्षति विक्षत हालत में खड़ी है। उसके नाम की फिटनेश, बीमा, टैक्स जमा करने की अवधि वर्षों पहले समाप्त हो चुकी है, उसके नाम पर भी ओला कैब कम्पनी धड़ल्ले से बुकिंग कर रही है और कैब में सफर करने वाले यात्रियों से खिलवाड़ कर रही है।
थाना परिसर में बिना किसी दबाव में और विधिक सलाहकार की मौजूदगी में ओला ओला कम्पनी के रीजनल सेल्स मैनेजर अंकुर त्रिपाठी ने लिखित रूप में स्वीकार किया है कि ओला की गाड़ियों में यात्रा करना सुरक्षित नहीं है। उन्होंने यह तक लिख दिया कि आतंकवादी हमलों में ओला की गाड़ी आसानी से प्रयोग की जा सकती है।
उपरोक्त जानकारी मैने पुलिस के उच्चाधिकारियों तक प्रेषित कर दी है। अब देखना यह है कि पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी क्या ओला कैब कम्पनी के विरुद्ध कार्यवाही करने का साहस जुटा पायेेंगे या अदृश्य ऊपरी अर्थात आकाशीय चमत्कार की चमक में आँख बन्द कर लेंगे