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एक बार फिर फेल हुआ जिले का खुफिया तंत्र

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एक बार फिर फेल हुआ जिले का खुफिया तंत्र

ढेड़ दशक से गाजीपुर में रहने वाले विदेशी तक नही पहुँच सकीं खुफिया निगाहें

फर्जी दलील देकर सालों तक धार्मिक स्थल का लेता र

एक बार फिर जिले का खुफिया तंत्र फेल साबित हुआ है। जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर एक विदेशी नागरिक रहता रहा लेकिन उस तक खुफिया निगाहें नही पहुंच सकी। मामला तब खुला जब धार्मिक स्थल पर गलत दलील पर पनाह लेने वाले इस शख्स की असलियत सामने आई। पुलिस तक बात पहुँचने के बाद से विदेशी का पता नही है। यह विदेशी शख्स टोना-टोटका के नाम पर लोगो को अंधविश्वास में रख बरगलाते रहा। बल्कि बच्चों को गलत तालीम भी देता रहा। अब सवाल यह उठता है कि इतने लम्बे समय तक सन्दिग्ध गतिविधियों में संलिप्त रहे विदेशी नागरिक की भनक ख़ुफ़िया तंत्र को क्यों नही लग सकी?
गाजीपुर कस्बे के एक धार्मिक स्थल पर लम्बे समय से रह कर अपनी नागरिकता छिपाने वाले इस विदेशी की गतिविधियां सन्दिग्ध मिलने पर धर्मिक स्थल कमेटी ने उसे निकाल बाहर किया। तब जाकर उसकी असलियत से इलाकाई लोग वाक़िफ़ हुए। तभी से यह लापता बताया जा रहा है। उसी के बाद से खुफिया तंत्र की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे है। और सवाल उठना लाजमी भी है क्योंकि इस तरह के कई प्रकरण पहले भी चर्चाएं-आम हो चुके हैं।

ढेड़ दशक से गाजीपुर में रहने वाले विदेशी तक नही पहुँच सकीं खुफिया निगाहें**फर्जी दलील देकर सालों तक धार्मिक स्थल का लेता रहा सहारा संदिग्ध पाए जाने पर पुलिस तक पहुँचा मामला धीरेन्द्र सिंह “राणा”ऐक बार फिर जिले का खुफिया तंत्र फेल साबित हुआ है। जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर एक विदेशी नागरिक रहता रहा लेकिन उस तक खुफिया निगाहें नही पहुंच सकी। मामला तब खुला जब धार्मिक स्थल पर गलत दलील पर पनाह लेने वाले इस शख्स की असलियत सामने आई। पुलिस तक बात पहुँचने के बाद से विदेशी का पता नही है। यह विदेशी शख्स टोना-टोटका के नाम पर लोगो को अंधविश्वास में रख बरगलाते रहा। बल्कि बच्चों को गलत तालीम भी देता रहा। अब सवाल यह उठता है कि इतने लम्बे समय तक सन्दिग्ध गतिविधियों में संलिप्त रहे विदेशी नागरिक की भनक ख़ुफ़िया तंत्र को क्यों नही लग सकी?गाजीपुर कस्बे के एक धार्मिक स्थल पर लम्बे समय से रह कर अपनी नागरिकता छिपाने वाले इस विदेशी की गतिविधियां सन्दिग्ध मिलने पर धर्मिक स्थल कमेटी ने उसे निकाल बाहर किया। तब जाकर उसकी असलियत से इलाकाई लोग वाक़िफ़ हुए। तभी से यह लापता बताया जा रहा है। उसी के बाद से खुफिया तंत्र की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे है। और सवाल उठना लाजमी भी है क्योंकि इस तरह के कई प्रकरण पहले भी चर्चाएं-आम हो चुके हैं।

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